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जला सकूं मैं दीपक केवल: अनंग

जला सकूं मैं दीपक केवल अंधेरों  में  रहकर  देखा,  बहुत  उजाला  क्या होगा।जला सकूं मैं दीपक केवल, अक्षत-माला क्या होगा।। छाती  फुला-फुलाकर  देखा, गहराई  की  थाह नहीं।सुनकर मुझको सब हंस…

प्रीत की राह पे: “अनंग”

प्रीत की राह पे प्रीत  की  राह  पे  रसखान  नजर आएंगे।वरना  सब लोग ही बेईमान नजर आएंगे।। देख लो  प्यार से चश्मा  उतार दुनिया को। सोच  बदलोगे  तो   इंसान …