आज फिर,तेरी याद में आंखें भर आईं हैं
संग बीतीं, कुछ खट्टी, कुछ मीठी यादें मैंने सजायी हैं
मीठी यादें, ओठों पर मुस्कान लाई हैं
कुछ अश्रुकण, सहज ही आंखें भर लाई हैं तेरे संग, बीते हर पल याद रह गए
वैसे पल, सुमीता और कहां से लाए
तुमने कुछ ना सोचा,हो गये क्षितिज में विलीन
पर तेरी यादें, ना हो पाऐंगी विलीन
हमने संग रहने की,कसमें खाईं
आज भी, सुमीता को याद हैं
पर तुमने, कहां कसमें निभाई
तुम चले गए, कौन से देश
जो वापस आने की राह, तुम्हें ना मिल पाई
तेरी याद से,गहन अन्धकार भी हो जाता है प्रकाशित
ऊषा – निशा से करती रहती हूं, तेरी ही बातें
मैं वापस आने की, तुम्हें गुहार लगाती रही
पर ,तुम फिर आयें ना वापस
हो तुम कहां, किस देश में,किस भेष में
आज फिर, तेरी याद में आंखें भर आईं हैं
संग बीतीं ,कुछ खट्टी, कुछ मीठी यादें मैंने सजायी हैं
आज फिर ,तेरी याद में आंखें भर आईं हैं
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मीना सुरेश जैन सुमीता सिलवासा