![](https://sahityshala.com/wp-content/uploads/2023/12/cropped-cropped-cropped-sahityshala4.png)
![](https://sahityshala.com/wp-content/uploads/2023/12/cropped-cropped-cropped-sahityshala4.png)
✒️वेदना की चुभन हो गयी जिंदगी।
बस तपन ही तपन हो गयी जिंदगी।।
✒️उम्र की वारुणी में गरल बन घुली।
पी लिया तो कफन हो गयी जिंदगी।।
✒️देह के फूल खिलकर सितारे बने।
जो धरा थी गगन हो गयी जिंदगी।।
✒️रुप में प्यार की आग जब लग गई।
प्रीति का आचमन हो गयी जिंदगी।।
✒️ पृष्ठ अनुभूतियों के जुड़े इस तरह।
शुभ सजल संकलन हो गयी जिंदगी।।
✒️रवेन्द्र पाल सिंह’रसिक’