⚘गोस्वामीतुलसीदासविरचित
(598) 🐘 श्रीरामचरितमानस
🦜—–अयोध्याकाण्ड—-🦜
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अति सरोष माखे लखनु
लखि सुनि सपथ प्रवान
सभयलोक सब लोकपति
चाहत भभरि भगान ।।
जगु भय मगन गगन भइ बानी
लखन बाहुबलु बिपुल बखानी
तात प्रताप प्रभाउ तुम्हारा ।
को कहि सकइ को जाननिहारा
अनुचितउचित काजुकिछु होऊ
समुझकरि भलकह सबुकोऊ।।
सहसा करि पाछें पछिताहीं ।
कहहिं बेद बुध ते बुध नाहीं ।।
सुनि सुर बचन लखन सकुचाने
राम सियँ सादर सनमाने ।।
कही तात तुम्ह नीति सुहाई ।
सब तें कठिन राजमदु भाई ।।
जो अचवँत नृप मातहिं तेई ।
नाहिन साधुसभा जेहिं सेई ।।
सुनहु लखन भल भरत सरीसा
बिधि प्रपंच महँ सुना न दीसा।।
(क्रमशः आगे भी जारी)
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🙏प्रस्तुतकर्ता 🙏
नन्दलाल ऊमर, दक्षिण फाटक
( राजस्थान भवन के सामने ) ,
पानदरीबा बाजार के पास ,
मीरजापुर-231001(यू0पी0)
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