हत्या एक जघन्य अपराध है
हत्या तब भी होती है
जब हम खामोश रहते हैं।
कटते हुए जंगल को देखकर
यह हत्या है आने वाली पीढ़ी
जो होगी बेचैन और झेलेगी कहर को।
क्या यह हत्या नहीं है जनमानस की उम्मीद की
आस्था जहां गणतंत्र का
लोक प्रतिनिधि के वैराग्य का
विमुख जन कल्याण से
उन्हें मतलब नहीं होता ,
समाज की समृद्धि से
हां यह भी एक हत्या ही है
आस्था की विश्वास की।
एक हत्या होती है पत्रकारों से
जब बिक जाती है कलम
करते हैं हत्या स्वयं की आत्मसम्मान की, और परोसते हैं खबर सत्ता के गलियारों से सच्ची और झूठी
शिक्षक भी करते हैं हत्या
इस देश के नवनिहालों के सपनों की।
कर्तव्य पथ पर शिक्षा का भार
जो शिक्षक व्यर्थ की बातें करते हैं
शिक्षा का पैगाम नहीं देते हैं
वह भी करते हैं हत्या सरकारी संसाधनों की।
आने वाले भविष्य के धरोहर की।
पति भी करते हैं हत्या अपने पत्नी के अरमानों की
जब नहीं देते सम्मान उन्हें
और नहीं देते उन्हें अवसर समझते हैं जो बीवी को घर की नौकर और जब करने लगते हैं अय्याशी तोड़ देते हैं सपने अपने पत्नी की।
एक हत्या करती है संतान
अपने माता-पिता के अस्तित्व की
जब उन्हें अच्छा लगता है वृद्धआश्रम
पीड़ित माता-पिता छोड़ते हैं घर।
और बनते हैं शोभा वृद्ध आश्रम की।
नाहिदा शाहीन
IFRAME SYNC
728x90
728x90_1
IFRAME SYNC
728x90
728x90_1
IFRAME SYNC