तुम क्यों नहीं आते

पलाश के फूल भी
मौसम आने पर खिल जाते हैं
धरती और अंबर भी
एक वक्त पर मिल जाते हैं
मगर हम तुम क्यों मिल नहीं पाते ?
मन के फूल क्यों खिल नहीं पाते ?

बारह महीने भी साल में बदल जाते हैं
बारह साल के बाद कुंभ का मेला भी लग जाता है
मेरे दिल के अरमानों का मेला क्यों नहीं लगता ?

दुनिया में
हर जुर्म की एक सजा मुकर्रर है
अगर मुझसे कोई जुर्म हुआ है तो
तुम उसकी सजा मुकर्रर क्यों नहीं करते ?

मुझे क्यों नहीं बताते
कि मेरी कितनी सजा बाकी है
मेरे मुकद्दर में कोई मिलन का दिन है
कि सिर्फ क़ज़ा बाकी है
तुम मुझे क्यों नहीं बताते ?
तुम क्यों नहीं आते?
डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक