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मोहब्बत की दुआ: प्रीत कौर प्रीती


कभी तो एक दुआ कुबूल हो मेरी
बगैर किसी इबादत के।

वो भी जताए प्यार मुझ पर
बिना किसी शिकायत के ।

वो भी मुझे गले लगाए
बिना मेरी इजाजत के ।

मोहब्बत वो भी करे हमसे
बिना किसी मिलावट के ।

करे कभी वो भी हेरतगार हमे
हमारे ही इंतजार में,
बिना किसी शिकवे शिकायत के ।

वो भी तो महसूस करें,
वो भी तो जाने कैसे,
गुजरती हैं जिंदगी,
बिना किसी मुस्कुराहट के ।

कैसे जीया है पल पल हमने
उनकी झुठी चाहत के।

वो भी भटके दर ब दर
पल भर सुकून की राहत में ।

न जाने क्या क्या नहीं झेला हमने
उनकी मोहब्बत की साज़िश में।

प्रीत कौर प्रीती।
फगवाड़ा।

Daily Hukumnama Sahib

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