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गीत: बद्री प्रसाद वर्मा अनजान

यह दुनिया न मेरी न तेरी रहेगी बद्री प्रसाद वर्मा अनजान यह दुनिया न मेरी न तेरी रहेगीन इतरा इतना यह यहीं रहेगी। राजा और रंक सब आते रहेंगेदुनिया का…

ढाई अक्षर प्यार का: गार्गी चटर्जी “आशा

अच्छा लगता है हर पल,तेरी यादों में खोना ।याद आता वो सुखद पल,तेरी गोद में सोना ।।वो प्रकृति का करीब से ,जो अनुभव होना ।मदहोश भरे पल में,हमारा करीब होना…

शराफत: “अवधी-मधुरस”

एकाएक हम ही बौने हुए हैं ।शराफत में औने -पौने हुए हैं । दिन-रात बस यही मंथन किया करूॅंबिन बात ही क्यूॅं ? यूॅं आहें भरा करूॅंकरते दगाबाजी मिलकर अपने…

जन जन की भाषा हिंदी: मीना सुरेश जैन सुमीता

देश का मान,सम्मान और अभिमान है, हिंदीअब तो विदेशी भी, अपनाते हिंदीहमारी संस्कृति की,प्राण है हिंदीसंस्कृत से तो जन्मी है, अनेक भाषाएंपर संस्कृत की है, हिंदी बिटिया प्यारीहो गई है…

यह भी हत्या है: नाहिदा शाहीन

हत्या एक जघन्य अपराध हैहत्या तब भी होती हैजब हम खामोश रहते हैं।कटते हुए जंगल को देखकरयह हत्या है आने वाली पीढ़ीजो होगी बेचैन और झेलेगी कहर को।क्या यह हत्या…

समानुभूति: नाहिदा शाहीन

समानुभूति की कथा कहूंसम भाव को समझ में जाऊंपर पीड़ा को समझो बेहतरहर्ष को भी समझो हंसकरभाव जीवन का सार हैवरना जीवन बेकार हैहर भाव का पुतला है नरभाव कोसहजता…

जनरल डिब्बे मे रेल की यात्रा: शिवनाथ सिंह “शिव”

जब जून की जालिम गरमी मा ,रेलवे की यात्रा पड गइले ।जब दुइ डिब्बा के पैसेन्जर ,एक डिब्बा महियॉं घुस गइले ।। का विपति बताई हम तुमसे ,जस विपदा हम…

याद: मीना सुरेश जैन सुमीता

आज फिर,तेरी याद में आंखें भर आईं हैंसंग बीतीं, कुछ खट्टी, कुछ मीठी यादें मैंने सजायी हैंमीठी यादें, ओठों पर मुस्कान लाई हैंकुछ अश्रुकण, सहज ही आंखें भर लाई हैं…

वीर बाल दिवस: हरमिंदर कौर, अमरोहा

दसवे गुरु गोविंद सिंह जी केपरिवार की शहादतपूरे इतिहास में सबसे बड़ी शहादत है। धर्म और सब की रक्षा के लिएऐसा ना कोई दूसरा किस्सा होगा20 दिसंबर से लेकर 27…

दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी दे अमर लाल हुए: हरमिंदर कौर, अमरोहा

दशमेश गुरु गोविंद सिंह जीदे निक्के निक्के बच्चे सीखेड्ण खाण दी उमर सीपर हौसले बुलंद सी। औरंगजेब नू तरस ना आयाबच्चेआ नाल झुंड लड़ायाबाबा फतेह सिंह, बाबा जुझार सिंहदोनों कल्ले…

गुरु गोविंद सिंह जी की बात बताऊँ: सुखविंद्र सिंह मनसीरत

गुरु गोविंद सिंह जी की बात बताऊँसवा लाख से मै एक सिंह लड़ाऊँ। मुगलों के जब बढ़ गये थे अत्याचार,जुल्म मिटाने बनकर आ गये सरदार,चिर से जो सोये उनको आन…

भारतीय नारी तुमको प्रणाम: संध्या जैन महक

है श्रद्धा भारतीय नारी कर नहीं सकता कोई बराबरी तुम्हारी तुम मां मे ममता हो भगिनी में समता हो तुम उपासना हो देवों की आराधना भी तुम हो संस्कृति तुमसे…

भोलापन: आनन्द कुमार

भोलापन तेरा प्यार प्यारा,चितवन तेरी मधुरिम सी,चंचल चंचल तेरे नयना,सागर की ग़हराई सी।भोलापन तेरा प्यारा प्यारा,चितवन तेरी मधुरिम सी। गोरा गोरा बदन है तेरा,कान्ति है मुख की उज्वल सी,नहीं कहीं…

मै दिसम्बर हूं: आनन्द कुमार मित्तल

शीत ऋतु का मौसम आया अब मैं माह दिसम्बर हूं,गर्म कपड़ों को जीवन देता नहिं कोई आडम्बर हूं। अति वर्षा से राहत देने मैं त्राता बन आया हूं,कम्बल,रजाई,सूट-बूट सब साथ…

क्यूँ नहीं?: जिनातमाम दर्जी

मृत सभ्यताओं से प्रेरणा क्यों तुम लेते हो?भुजाओं में बल है अगरतो अपनी सामर्थ्य सेनिर्माण का नवीन इतिहास क्यों नहीं रचते हो?मृतकों की गली मेंचलते हो क्यों भिक्षा का थाल…

कलयुग: उत्तम कुमार तिवारी ” उत्तम”

मिलते रिस्ते एक हज़ारयदि दौलत शोहरत हो पासनही पूछता है कोई उनकोजो होते है धन से लाचार लोभी लम्पट औ व्यभिचारीइनको दौड़े जनता सारीनही पूछता है कोई उनकोजो होते अच्छे…