सब कहते मै किसान ,मै देश की शान
दिन रात करता काम नहीं करता कभी आराम
मै मानवता का सच्चा सेवक श्रम से गहरा नाता
सह कर गर्मी धूप को फसल अपनी उगाता।
बस अपने कर्म को ही करता जाता हूँ
लोग धरती पुत्र कहे तो इसी पर इठलाता हूँ
मुझे लोगों ने अन्नदाता भी कहा
लेकिन मैं दाता क्यों दिन बना रहा
बारिश धूप, सर्दी एवं ताने भी सहे
सब है पर हम क्यू धनहीन बने रहे
मैं किसान हूँ, अपनी किसानी पर इठलाता हूँ
मैं किसान हूँ, नहीं कभी पछताता हूँ
मेहनत और खून पसीने को ही अपना कर्म
खेती कर के फसल उगाने में ही मेरा धर्म
खेती में ही अपनी सारी पूंजी लगता
हमेशा बंजर धरती से सोना उगाता
लेकिन बाढ़ और सूखे से डरता
बर्बाद फसलों को देख मैं घुट -घुट कर रोता
मैंने खेती में लगाया अपना सरा अतुल्य बल
लेकिन क्यू मेरी समस्या का नहीं किसी के पास हल
फिर मजबूर होकर मजदूर बनता हूँ
मजबूरी में कभी तो प्राण भी देता हूँ
इस आधुनिक युग में मुझे बचाओ
आप भी मेरे साथ आओ ,
मुझे भी गले लगाओ
मेरी वेदना को सहलाओ ,
मेरे घाव पर मरहम लगाओ
क्योंकि मैं तो देश का भी निसान हूँ , किसान हूँ,परेशान हूँ….
आदर्श पाण्डेय
मड़ियाहूं जौनपुर
उत्तर प्रदेश
मोबाइल नं. :7652029805
बहुत बहुत आभार