आंखों आंखों में ही जाने , क्या ? इशारे कर गये: ज्ञानेन्द्र पाण्डेय “अवधी-मधुरस”
आंखों आंखों में ही जाने , क्या ? इशारे कर गये ।शाम को कूॅंचाह में आये , क्या ? इशारे कर गये ।। कॅंपकताते होंठ लरजे , गजब की मस्ती…
आंखों आंखों में ही जाने , क्या ? इशारे कर गये ।शाम को कूॅंचाह में आये , क्या ? इशारे कर गये ।। कॅंपकताते होंठ लरजे , गजब की मस्ती…