यह दुनिया न मेरी न तेरी रहेगी
बद्री प्रसाद वर्मा अनजान
यह दुनिया न मेरी न तेरी रहेगी
न इतरा इतना यह यहीं रहेगी।
राजा और रंक सब आते रहेंगे
दुनिया का मेला देखते रहेंगे।
किसी की न यह मिल्कियत रहेगी ।
यह दुनिया न मेरी न तेरी रहेगी
न इतरा इतना यहीं यह रहेगी।
बन कर मुसाफिर आया जग में
दो दिन का ठेकाना तेरा है जग में।
सफर जिन्दगी की चलती रहेगी
यह दुनिया न मेरी न तेरी रहेगी
न इतरा इतना यहीं यह रहेगी।
न तुम कुछ लाए हो न कुछ ले जाओगे
यह दौलत यह दुनिया यहीं छोड़ जाओगे।
कमॅ तुमने जो किया वही साथ रहेगी।
यह दुनिया न मेरी न तेरी रहेगी
न इतरा इतना यहीं यह रहेगी।
बद्री प्रसाद वर्मा अनजान
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