अच्छा लगता है हर पल,
तेरी यादों में खोना ।
याद आता वो सुखद पल,
तेरी गोद में सोना ।।
वो प्रकृति का करीब से ,
जो अनुभव होना ।
मदहोश भरे पल में,
हमारा करीब होना ।।
एक दूजे की सांँसों को,
हृदय में भर लेना ।
समर्पित प्यार से भर जाए,
मन का कोना ।।
न मिल पाने की अपनी ,
मजबूरियांँ गिनाना ।
विरह में अपने आप में,
ही भिनभिनाना।।
खामोशी से तड़प दिल की ,
दिल तक पहुंँचा देना ।
जीने के लिए सांँस नहीं,
बस नाम ले लेना ।।
कुछ मांँगे तो हाथ पर ,
दिल को रख देना ।
मोहब्बत में कुछ इस तरह ,
से बंँध जाना ।।
अच्छा लगता हर रात ,
तेरा सपने में आना ।
नींद चुराने वाले तुमको ,
ये इल्जाम देना ।।
प्यार की बात न सही ,
शिकायत ही सही ।
गिला मुझको तो थी ,
इससे भी कुछ नहीं ।।
क्या खुशनुमा दिन थे ,
वो मोहब्बत भरी ।
फिरती थी खुद को छुपाए , जाने क्यूंँ डरी डरी ।।
ढाई अक्षर प्यार का ,
दे मोल खरीदा तुम्हें ।
इतना गहरा अर्थ है,
अब आई समझ हमें।।

गार्गी चटर्जी “आशा