कविता शीर्षक :-” चलो बजारै घूमि के आई ”
चलो बजारै घूमि के आई
साड़ी वाड़ी लइकै आई
चाट बतासा खाय के आई
दोन्ना मा घर का लइकै आई ।।
सैंडिल चप्पल लईकै आई
लाली पाउडर वाहिका लाई
तेल महकुँवा बारन खातिर
आँख का काजरु लई आई ।।
चुनुवा का चड्डी लइकै आई
मुनुवा का बंडी लइ आई
इनके खातिर सूटर लाई
साथ मा मोजा कुर्ता लाई ।।
साड़ी लिहिन चमकदार
वहीमा गोटा है कामदार
पिको फाल लगा हुआ
उइ साड़ी लाई शानदार ।।
उइ साड़ी द्याखव पहिनी कै आई
लाली पाउडर लगा के आई
आँखिन मा काला चस्मा लगा हुआ
जानो आँखि खोला कै आई ।।
स्वरचित मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरक्षित है ।
रचनाकार
उत्तम कुमार तिवारी ” उत्तम ”
लखनऊ
उत्तर प्रदेश
भारत