3 December 2024

कविता

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भोलापन तेरा प्यार प्यारा,चितवन तेरी मधुरिम सी,चंचल चंचल तेरे नयना,सागर की ग़हराई सी।भोलापन तेरा प्यारा प्यारा,चितवन तेरी...
शीत ऋतु का मौसम आया अब मैं माह दिसम्बर हूं,गर्म कपड़ों को जीवन देता नहिं कोई आडम्बर...
मृत सभ्यताओं से प्रेरणा क्यों तुम लेते हो?भुजाओं में बल है अगरतो अपनी सामर्थ्य सेनिर्माण का नवीन...
मिलते रिस्ते एक हज़ारयदि दौलत शोहरत हो पासनही पूछता है कोई उनकोजो होते है धन से लाचार...
भीख मांगते सड़कों पर,खूब सता रही है भूख,तन पर कपड़े फटे हुये,गला जा रहा अब सूख। कोई...
युगों युगों से पूजे नारी, लिया उसे है देवी मान।कभी देखते दुर्गा उसमें, कभी करे लक्ष्मी का...
मेरे अहसास एक मुद्दत से उसने मेरा हाल नहीं पूछा कहते हैं लफ़्ज़ों की बरसात नहीं करता...