अपने दिल में वो बाग फिर तैयार करें!
रंग गुण हों जुदा पर एक जैसा प्यार करें!
रखवाले बन गये हैं ये मगर माली है नहीं!
उजाड़ देंगें चमन इन पर ना एतबार करें!
इन में प्राकृति की पहचान और प्रेम नहीं!
ये व्यापारी हैं करें इत्र का व्योहार करें!
नोच डालेगें पंखुड़ी तलक ये फूलों की!
इन पर भूल कर के भी नहीं विश्वास करें!
ये चौकीदार बताते हैं दिलासे के लिए!
पास में आरी छुपायी है छुपके वार करें!
मिल कर मिट्टी की सौगंध उठाये वा कहें!
धरा मां है मेरी हम टूट कर के प्यार करें!! विह्वल!!
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