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मेरा मंच से एवं मंच से जुड़े सभी साहित्यकारो से निवेदन है कि जितने लोग कुम्भ की भगदड़ में हताहत हुए है एवं घायल हुए है । उन सबके लिए ईश्वर से प्रार्थना अवश्य करे ।
” प्रयाग के कुम्भ में जो घटना हुई उसके लिए दो शब्द “
मौनी अमावश्य के दिन जो भी प्रयाग के कुंभ में दर्दनाक घटना हुई उससे मेरा ह्रदय विदीर्ण हो गया । मै सभी दिवंगत आत्माओ को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ । ईश्वर उनको अपना मोक्ष धाम प्रदान करे और परिवार को इस महान दुःख की घड़ी में हिम्मत प्रदान करे एवं सभी घायलों को अति शीघ्र स्वस्थ करे । इतना दिव्य इंतज़ाम होने के बावजूद इतनी बड़ी घटना कैसे हो गई ये सोचने का विषय है । श्रद्धालुओ को भी धैर्य रखना चाहिए ।
इसी के परिपेक्ष में मै शंकराचार्य जी का बयान सुन रहा था ये वही शंकराचार्य जी है जो भगवान श्री राम जी के निवास के जीर्णोद्वार में विघ्न उतपन्न किया था । अब ये राजनीति पर उतर आये है । ये समय ऐसा है कि ईश्वर से प्रार्थना करने का न कि राजनीति करने का । सभी संतो एवं शंकराचार्यों को चाहिए कि इस भीड़ को नियंत्रित करने में सरकार का सहयोग करे न कि राजनीति करे । यदि सभी अखाड़ों के संत अपने शिष्यों को लगा देते भीड़ को नियंत्रित करने में तो शायद ये घटना न हो पाती और स्नान सुचारु रूप से संपन्न हो जाता और ये कलंक न लगने पाता ।
श्री राम चरित मानस में श्री गोष्वामी तुलसी दास जी ने लिखा है कि :- जहाँ सुमति तहाँ सम्पति नाना । जहाँ कुमति तहाँ बिपति निदाना ।।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने इन पंक्तियों को परिवार में सुख, शांति, प्रगति के साथ दुःख, विपत्तियाँ और विनाश के सन्दर्भ में लिखा है, जिनका अर्थ है कि जो व्यक्ति बुद्धिमत्ता (सुमति) पूर्वक, अपना और दूसरों का भला-बुरा ध्यान में रखकर, विचार-विमर्श करता है, और उसी के अनुसार निर्णय लेता है, वह व्यक्ति सुख, शांति, संपत्ति आदि की प्राप्ति करता है|
अंत में पुनः प्रार्थना श्री नारायण जी से है कि सभी दिवंगत आत्माओ को मोक्ष प्रदान करे और जो घायल अवस्था में है उनको शीघ्र स्वस्थ्य करे ।
“सुनहु भरत भावी प्रबल बिलखि कहहु मुनिनाथ । हानि लाभ जीवन मरन जस अपजस विधि हाथ’।।
हानि-लाभ, जीवन-मरण, यश व अपयश यह छह वस्तु भगवान के हाथ में होती है, मनुष्य के हाथ में नहीं।
उत्तम कुमार तिवारी ” उत्तम “
लखनऊ
उत्तर प्रदेश
भारतव