
गंगा जमुना सरस्वती
जिस देश में सदा से ही बहती है ।
ये वही पावन धरती है
जिसे दुनिया भारत कहती है।।
संगम की धरती पावन
जहां बहती जीवन धारा है।
अद्भुत प्रज्ञा की महिमा
गंगा जमुना सरस्वती धारा है।।
यह पंच रचित मानव शरीर
अद्भुत संगम जल प्यासी है।
मां गंगा ममता की सागर
अद्भुत अजीत अविनाशी है।।
कणकण पावन प्रयाग धरा
12 वर्ष में महा कुंभ परंपरा।
जन-जन अभिलाषी गंगा जल प्यासी
संगम स्नान सरोवरा।।
पाप नाशिनी भवतारणी
जन हितकारी अंबे।
गंगा जमुना माँ सरस्वती
ममता अवतारी अंबे।।
जगत विख्यात प्रयाग राज
महिमा अपरंपार है।
सारगर्भित अखिलेश्वरी
गंगा जल जगत विचार है।।
पावन पुनीत सुंदर समीर है।
गंगा उत्सर्जित चरण रघुवीर है।।
विष्णु पदी शिव शीश बसी
नित पाप धोने अग्रिम रहती।
निज हित त्यागी कृष्ण अनुरागी
सहज हिमाचल से बहती।।
माँ पावन गंगा स्मरण अनंगा
जलेश्वरी कलम स्याही।
लिखत अविरल गुण गंगा
गुरु चरण सदा निगेबाही।।
स्वरचित तत्कालिक मौलिक रचना
जलेश्वरी वस्त्रकार जयरामनगर बिलासपुर छत्तीसगढ़