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रचना: तस्लीम फातिमा

रचना

रचना मेरी कौनसी उत्तम,
सोंचूँ मन ही मन ये मैं,
ग़ज़ल सुरीली या गीत की सरगम,
किसको मन में ध्यानूं मैं,

किसी में होते भाव प्रखर तो,
किसी में शब्दों का फेरा,
कुछ में आती मन की खुशबू,
किसी में दिखता दुःख गहरा,

रचना मेरी कौनसी जंचती,
किसको कलम से सजाऊँ मैं,
झूठ लिखूँ या सच रच डालूँ,
किसमें साहित्य निखारूं मैं,

देश भक्ति का भाव निराला,
प्रेम भी रच दूँ रच दूँ वरमाला,
देवों को बांधू छंदों से,
शब्दों से पिला दूँ अमृत प्याला,

रचना तुमको कौनसी भाती,
सोंचूँ अपने मन में मैं,
पुष्प रचूं या रंगों का मेला,
काव्य विधा से खेलूँ मैं,

मेरी कलम ने बचपन देखा,
कभी ये पढ़ती भाग्य की रेखा,
रचनाकर सी इसमें शक्ति,
इतिहास भविष्य भी इसका लेखा,

रचना जग को कौन सुहाती,
सोंचूँ अंतर्मन ये मैं,
कविता मेरी सबको भाये,
कैसे फन ये सीखूं मैं,

मातृ भाषा का मान करा दूँ,
हर बोली का मोल बढ़ा दूँ,
आधुनिकता में शब्द डुबोकर,
कविता को अनमोल बना दूँ,

रचना जग में सब से उत्तम,
जिसको ध्यानूं मन में मैं,
संस्कारों का ये है संगम,
जिसका परचम लहराऊँ मैं

तस्लीम फातिमा
हनमकोड़ा – जिला
तेलंगाना-राज्य

Daily Hukumnama Sahib

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