मै दिसम्बर हूं: आनन्द कुमार मित्तल
शीत ऋतु का मौसम आया अब मैं माह दिसम्बर हूं,गर्म कपड़ों को जीवन देता नहिं कोई आडम्बर हूं। अति वर्षा से राहत देने मैं त्राता बन आया हूं,कम्बल,रजाई,सूट-बूट सब साथ…
शीत ऋतु का मौसम आया अब मैं माह दिसम्बर हूं,गर्म कपड़ों को जीवन देता नहिं कोई आडम्बर हूं। अति वर्षा से राहत देने मैं त्राता बन आया हूं,कम्बल,रजाई,सूट-बूट सब साथ…
मृत सभ्यताओं से प्रेरणा क्यों तुम लेते हो?भुजाओं में बल है अगरतो अपनी सामर्थ्य सेनिर्माण का नवीन इतिहास क्यों नहीं रचते हो?मृतकों की गली मेंचलते हो क्यों भिक्षा का थाल…
मिलते रिस्ते एक हज़ारयदि दौलत शोहरत हो पासनही पूछता है कोई उनकोजो होते है धन से लाचार लोभी लम्पट औ व्यभिचारीइनको दौड़े जनता सारीनही पूछता है कोई उनकोजो होते अच्छे…
तुम मेरा मान हो मेरा सम्मान होमेरे सबसे बड़ा तुम अभिमान होया यु कहे तुम जब से आये होतुम मेरे घर पर ऊपर कुर्बांन हो ।। आई थी तुम मेरे…
स्वरचित एवं मौलिकसंध्या प्रकाशराँचीEmail : greatsandhya15@gmail.com
साहित्यिक संस्था “कविता कथा कारवाँ ,लुधियाना की तरफ़ से विशाल वार्षिक साहित्यिक मेला डॉ. सुरेश नायक की अध्यक्षता में संपन्न किया गया जिसमें विशेष मेहमान के रूप में डॉ.हरि सिंह…
कहानी- औकात जिस दिन से दिनेश अहमदाबाद आये, मन का चैन छिन गया। एक लम्बे अरसे से वह उससे दूर रहे आये है और उन्होने मन में यही तय किया…
ये तेरा चहकना महकना भी क्या बात हैतुझसे मिल कर बाते करना भी क्या बात हैअरे ज़रा गौर से तो देखो हमको पास आकेछुप छुप के हमको देखना भी क्या…
सुषमा आज फूली नहीं समा रही थी, और होती भी क्यू ना ..उसकी बेटी के लिए वो मोती सा दामाद जो खोज लायी थी ।दोनो ने एक दूसरे को पसंद…
सब कहते मै किसान ,मै देश की शानदिन रात करता काम नहीं करता कभी आराममै मानवता का सच्चा सेवक श्रम से गहरा नातासह कर गर्मी धूप को फसल अपनी उगाता।बस…
ये जिंदगी हर मोड़ पर मेरा ही मजाक बनाती रही,न जाने क्यूं,हर दिन,हर पल मुझे ही तड़पती रही। ऐ जिन्दगी बता हर बार मेरा ही इम्तिहान क्यों लेती है,हर बार…
भीख मांगते सड़कों पर,खूब सता रही है भूख,तन पर कपड़े फटे हुये,गला जा रहा अब सूख। कोई दे कोई धुत्कार दे,अजब जहां की है रीत,खुशियों में सब दोस्त है,बिगड़ी का नहीं…
युगों युगों से पूजे नारी, लिया उसे है देवी मान।कभी देखते दुर्गा उसमें, कभी करे लक्ष्मी का ध्यान। कभी उसी नारी को तुम क्यों, लेते हो फिर अबला जान।देवी जिसको…
कभी तो एक दुआ कुबूल हो मेरीबगैर किसी इबादत के। वो भी जताए प्यार मुझ परबिना किसी शिकायत के । वो भी मुझे गले लगाएबिना मेरी इजाजत के । मोहब्बत…
मेरे अहसास एक मुद्दत से उसने मेरा हाल नहीं पूछा कहते हैं लफ़्ज़ों की बरसात नहीं करता एक उम्र ही गुजर गई उससे मिले बगैर सुना है अब वो किसी…
मेरा स्वाभिमान है यह ———— मैं गिरकर उठने का हुनर अब जान गई हूं किंलिष्ट प्रकृति का आवरण पहचान गई हूं तीन लोको की करती हुई आज अगुवाई जीवन -मृत्यु…
रचना रचना मेरी कौनसी उत्तम,सोंचूँ मन ही मन ये मैं,ग़ज़ल सुरीली या गीत की सरगम,किसको मन में ध्यानूं मैं, किसी में होते भाव प्रखर तो,किसी में शब्दों का फेरा,कुछ में…
भूख से व्याकुल हुआ हुआ ये शख़्स आख़िर कौन है क्या वो आदम जात है या देवता जो मौन है भोग छप्पन जिसको लगें वो क्यू इसे खाता नही ओर…
कुछ लिख दूँ तुम पर आज प्रियेह्रदय मे तेरा नेह लिएसुन्दर शब्दो की माला गुह करडालूँ गले मे तेरे हार प्रिये कुछ लिख दूँ तुम पर आज प्रिये ।। जन्मो…