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बने विजेता वो सदा, ऐसा मुझे यकीन।
आँखों में आकाश हो, पांवों तले जमीन।।
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तू भी पायेगा कभी, फूलों की सौगात।
धुन अपनी मत छोड़ना, सुधरेंगे हालात।।
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बीते कल को भूलकर, चुग डालें सब शूल।
बोयें हम नवभोर पर, सुंदर-सुरभित फूल।।
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तूफानों से मत डरो, कर लो पैनी धार।
नाविक बैठे घाट पर, कब उतरें हैं पार।।
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छाले पांवों में पड़े, मान न लेना हार।
काँटों में ही है छुपा, फूलों का उपहार।।
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भँवर सभी जो भूलकर, ले ताकत पहचान।
पार करे मझदार वो, सपनों का जलयान।।
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तरकश में हो हौंसला, कोशिश के हो तीर।
साथ जुड़ी उम्मीद हो, दे पर्वत को चीर ।।
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–डॉ. सत्यवान सौरभ