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आशाओं के रंग : डॉ. सत्यवान सौरभ

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बने विजेता वो सदा, ऐसा मुझे यकीन। 

आँखों में आकाश हो, पांवों तले जमीन।।

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तू भी पायेगा कभी, फूलों की सौगात। 

धुन अपनी मत छोड़ना, सुधरेंगे हालात।। 

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बीते कल को भूलकर, चुग डालें सब शूल। 

बोयें हम नवभोर पर, सुंदर-सुरभित फूल।। 

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तूफानों से मत डरो, कर लो पैनी धार। 

नाविक बैठे घाट पर, कब उतरें हैं पार।। 

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छाले पांवों में पड़े, मान न लेना हार। 

काँटों में ही है छुपा, फूलों का उपहार।। 

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भँवर सभी जो भूलकर, ले ताकत पहचान। 

पार करे मझदार वो, सपनों का जलयान।। 

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तरकश में हो हौंसला, कोशिश के हो तीर। 

साथ जुड़ी उम्मीद हो, दे पर्वत को चीर ।। 

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–डॉ. सत्यवान सौरभ

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