Site icon साहित्यशाला

गीत: बद्री प्रसाद वर्मा अनजान

यह दुनिया न मेरी न तेरी रहेगी

बद्री प्रसाद वर्मा अनजान

यह दुनिया न मेरी न तेरी रहेगी
न इतरा इतना यह यहीं रहेगी।

राजा और रंक सब आते रहेंगे
दुनिया का मेला देखते रहेंगे।

किसी की न यह मिल्कियत रहेगी ।

यह दुनिया न मेरी न तेरी रहेगी
न इतरा इतना यहीं यह रहेगी।

बन कर मुसाफिर आया जग में
दो दिन का ठेकाना तेरा है जग में।
सफर जिन्दगी की चलती रहेगी

यह दुनिया न मेरी न तेरी रहेगी
न इतरा इतना यहीं यह रहेगी।

न तुम कुछ लाए हो न कुछ ले जाओगे
यह दौलत यह दुनिया यहीं छोड़ जाओगे।

कमॅ तुमने जो किया वही साथ रहेगी।

यह दुनिया न मेरी न तेरी रहेगी
न इतरा इतना यहीं यह रहेगी।

बद्री प्रसाद वर्मा अनजान
गल्ला मंडी गोला बाजार 273408गोरखपुर उ प्र
९८३८९११८३६

FacebookTwitterEmailWhatsAppLinkedIn
Exit mobile version