देश का मान,सम्मान और अभिमान है, हिंदी
अब तो विदेशी भी, अपनाते हिंदी
हमारी संस्कृति की,प्राण है हिंदी
संस्कृत से तो जन्मी है, अनेक भाषाएं
पर संस्कृत की है, हिंदी बिटिया प्यारी
हो गई है हिंदी, जन-जन की दुलारी
सभी के हृदय में पाया, हिंदी ने स्थान
चाचा -चाची,ताऊ- ताई, बुआ-फूफा, मौसी-मौसा, मामा-मामी हिंदी में पातें
अंग्रेजी में तो हैं बस, आंटी और अंकल
दादा-दादी, नाना-नानी हिन्दी में बसतें
अंग्रेजी में तो हैं बस, ग्रांड फादर-मदर
कद्दू,लौकी,तुरई, ककड़ी हिंदी में पहचानी जाती
अंग्रेजी में तो बस,सब हैं गोर्ड
खट्टा,पितला,तीखा,चरपरा हिंदी के स्वाद
अंग्रेजी में तो है,बिटर और शौर्ड
है समृद्ध, सशक्त, हिन्दी भाषा हमारी
शब्दों का है, अतुल इसमें भंडार
सबको एक, विशेष बना देती है
इसलिए,विदेशी भाषा छोड़,हिन्दी अपनायें
स्वाभिमान और सम्मान,देश को दिलवायें
हिन्दी से हैं ,सुरक्षित संस्कार हमारे
हिन्दी को पुनः, हम शिखर पर लायें
देश का मान,सम्मानऔरअभिमान है हिन्दी
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मीना सुरेश जैन सुमीता सिलवासा