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जिगरी पुराने वो यार गुजर गए: सुखविंद्र सिंह मनसीरत

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जिगरी पुराने वो यार गुजर गए,
दिल के रूहानी प्यार गुजर गए।

सुख दुख में पहले आने वाले,
साथ खड़े परिवार गुजर गए।

दिलदर्दी,हमदर्दी वो अलगर्जी,
बहुत प्यारे दिलदार गुजर गए।

बाग बगीचे फल फूलों से सूने,
खिले हुए गुलज़ार गुजर गए।

जहर का घूंट गम में पीने वाले,
कब के वो गमखार गुजर गए।

रणभूमि में रणवीर परवाने,
योद्धा जो बलकार गुजर गए।

कौन सिखाए और कौन बताए,
सामाजिक सत्कार गुजर गए।

न जाने कहां किस निर्जन में,
छोटे बड़े संस्कार गुजर गए।

जोड़ के रखने वाले मनसीरत,
वो मुखिया किरदार गुजर गए।


सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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