प्राचीन चीनी सिद्धांत और ताओवाद के महान संस्थापक “लाओजी” या “लाओ त्ज़ु” का उल्लेख किया जा रहा है। लेटेजी को उनके सैद्धांतिक सिद्धांत, “ताओ ते शिंग” के लिए जाना जाता है, जो ताओवाद के परमाणु सिद्धांत को प्रस्तुत करता है। यहां उनके बारे में कुछ जानकारी दी गई है: **लाओज़ी (लाओ त्ज़ु):** लाओज़ी चीनी दर्शन और आध्यात्म में एक स्थिर व्यक्ति हैं। ऐसा माना जाता है कि वह छठी शताब्दी ईसा पूर्व के काल में रहे थे, हालांकि उनके जीवन के बारे में ऐतिहासिक विवरण दुर्लभ हैं और अक्सर किंवदंतियों के साथ मिश्रित होते हैं। लाओजी को पारंपरिक रूप से ताओवाद का एक मुख्य पाठ “ताओ ते शिंग” का श्रेय दिया जाता है। **”ताओ ते चिंग”:** “ताओ ते जिंग” (मानसिक “दाओ दे जिंग” भी कहा जाता है) काव्य छंदों का एक संग्रह जो ताओ की अवधारणा की व्याख्या करता है, जिसका अनुवाद “द वे” के रूप में किया जा सकता है। पाठ्य प्राकृतिक, सरल, शास्त्रीय और विविध जीवन की खोज में लाओजी के दर्शन को प्रस्तुत किया जाता है। “ताओ ते शिंग” ब्रह्मांड की प्राकृतिक व्यवस्था के निवासियों के लिए ताओ के सिद्धांतों के महत्व पर चर्चा की गई है। लाओजी की शिक्षा “वू वेई” का जोरों पर महत्व है, जिसका अर्थ अक्सर “गैर-क्रिया” या “सहज क्रिया” के रूप में किया जाता है, जिसका अर्थ है बिना किसी दबाव या प्रयास के ताओ के प्रवाह के कार्य करना ।। **परंपरा:** लाओत्से के दर्शन और “ताओ ते शिंग” का चीनी विचार, आध्यात्मिकता और संस्कृति पर गहरा प्रभाव पड़ा है। ताओवाद, जो लाओज़ी की शिक्षाओं के उद्देश्य को दर्शाता है, ने चीनी इतिहास को गहराई से आकार दिया है और कला, चिकित्सा और शासन सहित चीनी जीवन के विभिन्न सिद्धांतों को प्रभावित किया है। “ताओ ते शिंग” का कई समुद्रों में अनुवाद किया गया है और यह पहलू, संतुलन और ज्ञान की प्रकृति में समानता वाले लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना है। यदि आपके पास कोई और विशिष्ट प्रश्न है या यदि कुछ और है जिसमें आप “लाओत्से” के साथ उल्लेख कर रहे हैं, तो कृपया अतिरिक्त संदर्भ प्रदान करें ताकि मैं आपकी विशेषज्ञ सहायता कर सकूं।
हरविंदर सिंह ग़ुलाम